गुरुवार, जुलाई 05, 2007

चलचित्र के विषय में

भाईसाहेब, ये काहे को बुद्धू जीवी यथार्थवाद को ले कर ठण्डी ठण्डी आहें भरते रहते हैं।
मेरा कहना है कि यदि आपको वास्तविकता में इतना आनंद आता है, तो हमारे घर तशरीफ़ रखिये।
हम ख़ूब जीं भर के वास्तविकता का लुत्फ़ करवा देंगें, वो भी सस्ते में, और साथ में शिकंजी भी पिला देंगें ।
यह मल्टीप्लेक्स जाकर, वाहियात मक्के के दाने खा कर, लघुशंका की इच्छा को मन में मार के, कौन सी रीयेलेटी?
हमारा बस चलें तो एक बहुत बड़ा सा सूचना पट लगवा दें कि देवियों एवं सज्जनों, कृपया अपनी सच्चाई घरों में रख के आवें, यहाँ पे हम सिर्फ कल्पना और भावना कि उड़ान भरेंगे, धन्यवाद।

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

फिर तो सच्चाई के लिए एक डीवीडी प्लेयर ले लेना चाहिए । क्योंकि एम-प्लैक्स में तो आप सिर्फ कल्पना बाजी ही करेंगें ।।